सद्गुरु यीशु परमात्मा के पुत्र थे और एक अद्भुत गुरु और साथ ही साथ शक्तिशाली चमत्कार करने वाले।

और जितने लोग  इस पृथ्वी पर जिए उनमें से केवल सद्गुरु यीशु ने कभी पाप नहीं किया।

केवल वही थे जिन्हें पाप के दण्ड के सज़ा योग्य नहीं समझा गया।

बहुत सारे लोग यीशु से प्यार करते थे।

लेकिन कुछ धर्म गुरु सद्गुरु यीशु से नफरत रखते थे।

उन्होंने उसे गिरफ्तार किया, उन्हें आदालत में ले गये और उनको मरवाने का फैसला किया।

उन्होंने सद्गुरु यीशु को एक विशाल क्रूस पर लटका दिया।

उन्होंने उसके हाथ और पैरों को क्रूस पर कीलों से ठोक दिया।

जैसे उन्हें क्रूस पर लटकाए गये उनकी कीमती खून जमीन पर गिरने लगा।

उन्होंने चिल्लाते हुए कहा, “समाप्त हो गया!”

सद्गुरु यीशु आखिरी और सिद्ध बलिदान बने।

परमात्मा हम से प्यार करते हैं और उन्होंने अनुमति दी कि सद्गुरु यीशु हमारी जगह मर जाएँ।

सद्गुरु यीशु ने हमारे पापों का दण्ड उठाया।

सिर्फ खून के गिरने से हमारे पाप क्षमा हो सकते हैं।

किसी को हमारे पापों का दाम चुकाना पड़ा।

सद्गुरु यीशु के उस दिन मरने के बाद उनके दोस्तों ने उनकी लाश को उठाकर सुरक्षित कब्र में रख दिया।

लेकिन यह कहानी यहीं समाप्त नहीं होती।

इस के तिन दिन बाद सद्गुरु यीशु मृत्यु में से जी उठे और बहुत सारे दिन तक लोगों को दिखाते रहे कि वह फिर से जीवित हो गये।

उन्होंने सिद्ध किया कि वह परमात्मा के पुत्र है।

और फिर वह अपने परमात्मा के पास स्वर्ग में लौट गये।

सद्गुरु यीशु ने हमारे दण्ड अपने ऊपर ले लिया और अब हमें एक मार्ग दिया है जिससे हम परमात्मा के पास वापस आ सकें।

सिर्फ वही हमें परमात्मा के पास वापस जाने का मार्ग दिखा सकते हैं!