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जब गुरु यीशु पृथ्वी पर थे उन्होंने एक कहानी सुनाई –
एक जवान आदमी ने अपने पिता से कहा कि “संपत्ति से मुझे मेरा हिस्सा दे दीजिए।”
वह जवान आदमी दूर देश को चला गया और उसने अपने पैसों को गलत कामों में उड़ा दिया।
जब उसका सब कुछ खर्च हो गया तब उसने सब से नीच मजदूरी को चुना – सूअरों को चराना।
एक दिन वह होश में आया।
उसने सोचा कि “मेरे पिता के कितने ही मजदूर हैं जिनके पास खाने के लिए भरपुरी है और मैं यहाँ भूखा मर रहा हूँ।
मैं अपने पिता के पास वापस जाऊँगा और कहूँगा कि
“पिताजी, मैने स्वर्ग और आप के विरुद्ध पाप किया।
मैं अब आप का बेटा कहलाने योग्य नहीं हूँ;
कृपया मुझे अपने एक मजदूर की तरह रख लें।
तो वे उठ कर अपने पिता के पास गया।
लेकिन जब वह बहुत दूर ही था उसके पिता ने उसे देखा और दया से भर गया।
वह अपने बेटे के पास दोड़ा और उसे गले लगा लिया और उसे चूमा।
बेटे ने पिता से कहा “पिताजी, मैने स्वर्ग और आप के विरुद्ध पाप किया।
मैं अब आप का बेटा कहलाने योग्य नहीं हूँ;
लेकिन पिता ने अपने नौकरों से कहा,
“जल्दी से, सबसे अच्छा कपड़ा लाओ और इसे पहना दो।
उसकी उँगलियों में एक अगूठी पहनाओ और इसके पैरों में चप्पल डालो।
आओ हम दावत करें और खुशियाँ मनायें।
क्योंकि मेरा यह बेटा खोया हुआ था और अब यह मिल गया है!
हम सब इस जवान बेटे की तरह है।
हम सब ने पाप किया और हमारे पिता परमात्मा से दूर हो गये।
लेकिन इस बेटे की तरह, हम परमात्मा के पास वापस आ सकते हैं।
हमें अपने पापों के लिए क्षमा मांगना चाहिए और परमात्मा के पास वापस आये उस जीवन को पाने के लिए जो वह चाहते हैं कि हमारे पास हो उसके बच्चे होने के नाते।
सद्गुरु यीशु ने कहा कि, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं ही हूँ। मेरे बिना कोई पिता परमात्मा के पास नहीं आ सकता।
क्या आप चाहते हैं कि सद्गुरु यीशु आपको परमात्मा के पास वापस ले चेलें?