सिर्फ सद्गुरु यीशु हमें परमात्मा के पास वापस ला सकते हैं।

परमात्मा के पास वापस जाने के लिए आप को स्वीकार करना होगा कि आप ने उनके विरुद्ध पाप किया।

आप को विश्वास करना होगा कि प्रभु यीशु आप के पापों के लिए मर गये आप के दण्ड को अपने ऊपर ले लिया।

और परमात्मा से पूछें कि वह आप को क्षमा करें।

आप को सद्गुरु यीशु में ही विश्वास रखना होगा कि वह आप को वापस लाएंगे और परमात्मा पिता के बच्चे होने के नाते आप को अनंत जीवन दें।

सद्गुरु यीशु के पीछे चलना होगा आपके नए स्वामी और गुरु के रूप में।

यीशु ग्रन्थ में लिखा है

परमात्मा ने संसार के सब लोगों से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपना अनोखा पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस के पुत्र पर सम्पूर्ण विश्‍वास करेगा उसका विनाश नहीं होगा, परन्तु अमृत जीवन पाएगा।

आप परमात्मा के पास जा सकते हैं जैसे उस जवान आदमी ने किया। वह अपने पिता के पास लौट आया कुछ ऐसे कहते हुए –

“परमात्मा, मैं जानता हूँ कि आप मुझसे प्यार करते हैं

मैंने आप के विरुद्ध पाप किया और मैं माफ़ी चाहता हूँ।

मैं सद्गुरु यीशु पर विश्वास करता हूँ कि उन्होंने अपने सम्पूर्ण बलिदान से मेरे दण्ड को ले लिया।

परमात्मा कृपया मुझे क्षमा कीजिये।

मैं सहमत हूँ कि मैं सद्गुरु यीशु को अपना स्वामी मानके उनकी आज्ञाओं का पालन करूँगा अब से हमेशा तक।

मेरे अमृत और नयी जीवन के लिए धन्यवाद आपकी संतान के रूप में

क्यों नहीं आप उसे अभी इसी वक्त पुकारें? [विश्राम]

अगर आप ने सच में परमात्मा को पुकारा तो अब आप परमात्मा के बच्चे हैं हमेशा के लिए।

परमात्मा चाहता है कि आप दूसरों को भी यह बताएँ कि आप उनके बच्चे हैं।

परमात्मा की योजना सिर्फ आप को उसके पास वापस लाने के लिए नहीं है लेकिन आप के परिवार और दोस्तों को भी आप के द्वारा लाना चाहते हैं ताकि उनका रिश्ता परमात्मा के साथ और एक दूसरे के साथ दुबारा स्थापित हो सकें।

आप किसी ऐसे को जानते हैं जिसको यह कहानी सूनने की ज़रूरत है?

“परमात्मा, मैं जानता हूँ कि आप मुझसे प्यार करते हैं।

मैंने आप के विरुद्ध पाप किया और मैं माफ़ी चाहता हूँ।

मैं सद्गुरु यीशु पर विश्वास करता हूँ कि उन्होंने अपने पूर्ण बलिदान से मेरे दण्ड को ले लिया।

परमात्मा कृपया मुझे क्षमा कीजिये।

मैं सहमत हूँ कि मैं सद्गुरु यीशु को अपना स्वामी मानके उनकी आज्ञाओं का पालन करूँगा अब से हमेशा तक।

मेरे अमृत और नयी जीवन के लिए धन्यवाद आपकी संतान के रूप में।‌‍‌”

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